अब तू मोहे पार करे  



कभी कभी भगवान को भी भग्तो से काम पडे,

जाना था गंगा पार प्रभू केवट की नाव चदे ,

अवध छोड़ प्रभु वन को आये, सीया राम लखन गंगा तट आये ,

केवट मन ही मन हर्शाये, घार बैठे परभू दर्शन पाए,

हाथ जोड़ कर प्रभु के आगे केवट मगन खड़े,


प्रभु बोले तुम नाव चलाओ, पार हमे केवट पहुचाओ ,

केवट कहता सुनो हमारी चरण धुल की माया भारी,

मैं गरीब नेया मेरी माही ना होई पडे,


केवट दौड़ के जल भर लाया, चरण धोये चरणामृत पाया,

वेद ग्रंथ जीस के यश गाये केवट उनको नाव चढाये,

बरसे फूल गगन से ऐसे भक्त के भाग बडे


चली नाव गंगा की धारा सीया राम लखन को पार उतारा,

प्रभु देने लगे नाव उतराई केवट कहे नही रघुराई,

पार किया मैंने तुमको, अब तू मोहे पार करे


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1 प्रतिक्रिया: to “ अब तू मोहे पार करे

श्री माताजी निर्मला देवी