आत्म-साक्षात्कार पाना अति आवश्यक है  

हमारा जीवन आत्म-साक्षात्कार के बाद एक दिव्य, एक भव्य, एक पवित्र जीवन बन जाता है इसीलिए मनुष्य के लिए आत्म-साक्षात्कार पाना अति आवश्यक है। उसके बगेर उसमे संतुलन नही आ सकता। उसमें सच्ची सामूहिकता नहीं आ सकती। उसमें सच्चा प्रेम नहीं आ सकता। और सबसे अधिक उसमें सत्य जाना नहीं जा सकता। तो सारा ज्ञान, उसकी शुद्ध ज्ञानता आ जाती है। जिसे कि विद्या कहा जाता है, तो उसका देखना भी निरंजन हो जाता है। वो देखना मात्र होता है। कोई बीज को देखते वक्त उसमें कोई उसकी प्रतिक्रिया नही होती है। देखता है और देखने से ही पूरा ज्ञान हो जाता है उस चीज़ का। तो मनुष्य हमेशा जब आत्म-साक्षात्कार से प्लावित नही होता तो वो एक तरह से अपने ही बारे में सोचता है।



- परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी
(२३ फरवरी १९९०)


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श्री माताजी निर्मला देवी