माँ
अनोखा माँ का ये अवतार.. विश्व मैं कैसा हुआ चमत्कार,
माँ की लीला माँ ही जाने.. हम सबकी कर दी नैया पार।
माँ तू है सारे विश्व की जननी... मिला हमें परमेश्वरी प्यार,
सारा विश्व समाया तुझमें।
तू ही मुझमें.. तू ही सब मैं.. सारा विश्व समाया तुझमें।
कुण्डलिनी को जगा कर माँ ने, दी शीतल लहरें
अपार मानव ने लगाकर उसमें गोते, कर दिया धन्य जीवन आधार
और फ़िर उसी शीतल लहेरोंमे डूबा सारा सहज परिवार!
जबसे जाना है माँ को टूटे सारे भरम,
किया अर्पण जो हमने तन, मन और जीवन।
जबसे चले हम सहज की डगर लगने लगा सारा ज़हान अपना,
सबसे जुड़ा रिश्ता ये प्यारा, सच है ये --- नहीं है सपना।
बड़े भाग्य लेकर आए किया माँ ने उद्धार सभी का,
सहजी धन्य हुए सब... किया माँ ने उपकार सभी का।
- ललिता सहजी
September 21, 2008 at 2:46 AM
माँ को अनेकों प्रणाम।
October 1, 2011 at 7:24 AM
Maa ko mera bhi koti pranam!