पूर्ण समर्पण - एकमेव  


मैं भ्रन्तिरूप (ILLUSIVE) हूँ - यह सत्य है - मेरा नाम महामाया है। निःसंदेह मैं भ्रन्तिरूप हूँ। परन्तु मेरा ये भ्रन्तिरूप केवल आप लोगों को परखने के लिए है।



समर्पण उत्थान का महत्वपूर्ण अंग हैं. क्यों? क्योंकि जब भी आप भय की स्थिति में फंसे होते हैं, जब आपके अस्तित्त्व को खतरा होता है, ऐसे समय पर जब की पुरा विश्व आधार-विहीन स्थिति में है और पूर्ण विनाश को ओर बढ़ रहा है, यह अत्यंत आवश्यक हो गया है की आप किसी ऐसे आधार को पकड़ लें जो आपकी रक्षा कर सके। पुरी शक्ति और श्रद्धा के साथ आपको इस अवलंबन को पकड़े रहना होगा।


हममें जब बाधाएं आती हैं और जब हम नकारात्मकता से घिरे होते हैं तो हमें इसका आभास हो जाता है और हम थोड़े से हडबडा जाते हैं। यह ऐसा समय होता है जब हम अपने आधार को कसकर पकड़ना चाहते हैं परन्तु बाधाएं हममें ऐसे विचार पैदा कर देती है जो अत्यंत हानिकारक होते हैं। इस प्रकार एक बहुत बड़े संघर्ष का आरम्भ हो जाता है। ऐसी स्थिति में सर्वोत्तम उपाय क्या है? अन्य सभी चीजों को भूल जाना ही सर्वोत्तम उपाय है। भूल जाइये के आप भुतबाधित हैं या आपमें कोई बाधाएं हैं। अपनी पुरी शक्ति के साथ, जितनी भी शक्ति आपमें हैं, आपने मुझसे जुड़े रहना है।




- श्री माताजी निर्मला देवी

(३१/०७/१९८२)

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श्री माताजी निर्मला देवी