इडा नाडी
देवता : श्री महाकाली
विराट में स्थान : गंगा नदी
गुण : तमोगुण, भूतकाल, सुप्तचेतन, प्रतिअहंकार
वैज्ञानिक नाम : Left Sympathetic Nervous System
सूक्ष्म गुण : भावना, पवित्रता, अस्तित्व, आनंद, इच्छा, मांगल्य,
शरीर में स्थान : संपूर्ण बायाँ भाग
बाधा होने के कारण : आलस, अंधश्रद्धा, अंधविश्वास, अपराध की भावना, तांत्रिक मार्ग, अश्लील लेखन या वाचन करना, भूतकाल के बारे में बहोत ज्यादा सोचना, बुरी आदतें
विवरण : परमपूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने सहजयोग द्वारा यह सिद्ध किया हैं के मनुष्य के शरीर में अधिभौतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र की बायीं ओर इच्छा शक्ति हैं। उसे 'चंद्र नाडी' भी कहते हैं। यही नाडी भूतकालीन स्मृतियों को सचेतन करती हैं और उस वजह से क्रिया करने में आसानी होती हैं। जब तक यह शक्ति कार्यरत रहती हैं तब तक मनुष्य में जीवन जीने की अभिलाषा रहती हैं। इस नाडी के वजह से ही भावनाएं जागृत होती हैं और मस्तिष्क के दायीं ओर प्रतिअहंकार निर्माण होता हैं। व्यापक अर्थ में यह नाडी जीवात्मा का प्रतिक हैं।
विराट में स्थान : गंगा नदी
गुण : तमोगुण, भूतकाल, सुप्तचेतन, प्रतिअहंकार
वैज्ञानिक नाम : Left Sympathetic Nervous System
सूक्ष्म गुण : भावना, पवित्रता, अस्तित्व, आनंद, इच्छा, मांगल्य,
शरीर में स्थान : संपूर्ण बायाँ भाग
बाधा होने के कारण : आलस, अंधश्रद्धा, अंधविश्वास, अपराध की भावना, तांत्रिक मार्ग, अश्लील लेखन या वाचन करना, भूतकाल के बारे में बहोत ज्यादा सोचना, बुरी आदतें
विवरण : परमपूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने सहजयोग द्वारा यह सिद्ध किया हैं के मनुष्य के शरीर में अधिभौतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र की बायीं ओर इच्छा शक्ति हैं। उसे 'चंद्र नाडी' भी कहते हैं। यही नाडी भूतकालीन स्मृतियों को सचेतन करती हैं और उस वजह से क्रिया करने में आसानी होती हैं। जब तक यह शक्ति कार्यरत रहती हैं तब तक मनुष्य में जीवन जीने की अभिलाषा रहती हैं। इस नाडी के वजह से ही भावनाएं जागृत होती हैं और मस्तिष्क के दायीं ओर प्रतिअहंकार निर्माण होता हैं। व्यापक अर्थ में यह नाडी जीवात्मा का प्रतिक हैं।
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