उन्होंने पृथ्वी माँ के अंदर कुण्डलिनी का सृजन किया और पृथ्वी माँ के बाहर श्री गणेश का
"परन्तु हम उस बिन्दु पर आयेंगे जहाँ आदिशक्ति ने पृथ्वी माँ पर कार्य आरम्भ किया। पहली चीज जो हमें जननी आवश्यक हैं वो ये हैं कि उन्होंने पृथ्वी माँ के अंदर कुण्डलिनी का सृजन किया और पृथ्वी माँ के बाहर श्री गणेश का। ये अत्यन्त दिलचस्प बात हैं। इस प्रकार पृथ्वी माँ हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाती हैं। हम यदि पृथ्वी माँ का सम्मान करना नही जानते तो हमें अपना सम्मान करना भी नही आता। निःसंदेह कुण्डलिनी आपके अंदर आदिशक्ति कि अभीव्यक्ति हैं। आपके अंदर यह आदिशक्ति का प्रतिबिम्ब हैं। परन्तु जैसा आप जानते हैं भिन्न स्थानों, देशों तथा नगरों में भी चक्रो तथा आदिशक्ति के सृजन के रूप में पृथ्वी माँ में इस प्रतिबिम्ब कि अभिव्यक्ति हुई हैं। सर्वप्रथम एक अत्यन्त पावन पृथ्वी माँ का सृजन आवश्यक था जिस पर मनुष्य जन्म ले सके।"
- परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी
(कबेला, २५/०५/१९९७ )
- परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी
(कबेला, २५/०५/१९९७ )
0 प्रतिक्रिया: to “ उन्होंने पृथ्वी माँ के अंदर कुण्डलिनी का सृजन किया और पृथ्वी माँ के बाहर श्री गणेश का ”
Post a Comment