प्रेम की सहज अभिव्यक्ति  


आप यदि किसी आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति से पूछें, "आप अपने लिए क्या लेना चाहेंगे?", तो संभवतः वह सोचने लगेगा : "मेरी आवश्यकता क्या है?" उसके पास पहले से ही सभी कुछ है, वह सोचेगा, "यदि मुझे वास्तव में खरीददारी करने के लिए जाना हो तो में ऐसी चीजें खरीदूं जिनके द्वारा दूसरो के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति कर सकूं।" आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति किसी चीज को केवल उसके आध्यात्मिक मूल्य के कारण ही खरीदेगा क्योंकि मानव ने ऐसी बहुत सी सुंदर चीजों की सृष्टि कर दी है जिनसे दिव्य शीतल चैतन्य लहरियां निकलती हैं और वे आत्मानुभवी लोगों को आराम पहुंचाती हैं। विकल्प के रूप में, कलात्मक चीजों की सृष्टि करके जीविकार्जन करने वाले किसी कलाकार या निर्धन व्यक्ति को वह सहारा देगा। तो उसकी खरीदारी के पीछे, "मुझे यह पसंद है" का सिद्धांत न होकर "मेरी आत्मा इसका आनंद लेती है" का सिद्धांत है।


- श्री माताजी निर्मला देवी

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श्री माताजी निर्मला देवी