Advice at Chelsham Road - चेलशम रस्ते पे दिए गए उपदेश  


आपको जानना चाहिए कि आप मेरा प्रतिनिधित्व कर रहे हो, मेरे कुछ गुणों को अपने अंदर स्थापित करने कि कोशिश कीजिये। आपको सबूरी दिखानी होगी। इसके लिए सबसे अच्छा साधन है कि आप प्रार्थना करें। सहजयोगियों के लिए प्रार्थना करना बहुत महत्वपूर्ण है। ह्रदय से प्रार्थना कीजिये।



१) सबसे पहले आपको श्री माताजी से शक्ति मांगनी है - श्री माताजी मुझे शक्ति प्रदान कीजिये, जिससे मैं वास्तविक बन सकूँ। मैं अपने आप को धोखा न दे सकूँ। हम अपने स्वयं को सुबह से शाम तक धोखा देते रहते हैं। श्री माताजी मुझे स्वयं को देखने की शक्ति प्रदान कीजिये। ऐसा पूर्ण ह्रदय से कहिये कि मैं स्वयं को सूधारने (परिवर्तन करने) कि पूर्ण कोशिश करूँगा। यह सभी कमियां आपके स्वयं कि नहीं हैं, ये सब बाहर में हैं और ये सभी बाहर चली जायेंगी तो आप ठीक हो जायेंगे।



२) अब आप क्षमा के लिए प्रार्थना करें और कहें कि श्री माताजी मुझे क्षमा कर दीजिये, क्योंकि मैं अज्ञानी हूँ, मुझे पता नहीं कि मुझे क्या करना है। में गलतियाँ करता रहता हूँ, इसीलिए श्री माताजी आप मुझे क्षमा कर दीजिये।



३) सबसे पहली चीज़ है क्षमा प्रार्थना और दूसरी चीज़ है मधुर वाणी का माँगना। श्री माताजी मुझे मधुर वाणी प्रदान कीजिये। श्री माताजी मुझे ऐसी प्रेरणा दीजिये जिससे में दूसरो के लिए आदान-प्रदान का मध्यम बन सकूँ, दुसरे मेरी इज्जत करें, मुझे पसंद करें, और मेरी उपस्थिति को पसंद करें।



४) श्री माताजी मुझे शक्ति प्रदान कीजिये, श्री माताजी मुझे प्रेम दीजिये, श्री माताजी मुझे प्रकृति कि सुन्दरता प्रदान कीजिये, श्री माताजी मुझे सूझ-बुझ कि सुन्दरता प्रदान कीजिये जिस से सभी लोग मुझे प्रेम करें, मुझे चाहें। श्री माताजी मुझे मेरी आत्मा कि सुरक्षा प्रदान कीजिये जिससे में स्वयं को असुरक्षित महसूस न करूँ, जिससे दूसरों को मेरी वजह से दिक्कत न हो। श्री माताजी मुझे आत्म-सन्मान प्रदान कीजिये, जिससे में स्वयं को छोटा ना महसूस करूँ, और दुसरे मुझे छोटा ना समझें। श्री माताजी मुझे शक्ति प्रदान कीजिये जिससे मुझमें साक्षी भाव आयें।



५) श्री माताजी मुझे संतुष्ट कर दीजिये, में जो भी हूँ, मेरे पास जो कुछ भी हैं, में जो भी खता हूँ, उन सभी से में संतुष्ट रहूँ। मेरे चित्त को इन सभी चीजों से बाहर कर दीजिये। (अगर आपका चित्त आपके पेट पर है तो आपको लीवर समस्या हो जायेगी चाहें आप कुछ भी करें)। अगर मेरा चित्त ऐसी चीजों में भटकता हैं तो श्री माताजी मुझे मेरे चित्त को वापस लाने कि शक्ति प्रदान कर दीजिये। में ऐसी वस्तुओं में में फंसने से बच सकूँ जो मेरे चित्त को अपनी और खींचती हैं। श्री माताजी कृपया मुझे चित्त-निरोध शक्ति प्रदान कीजिये।



६) श्री माताजी कृपया मेरे विचारों को रोक दीजिये। मुझे साक्षी भाव प्रदान कीजिये, जिससे मैं यह नाटक देख सकूँ। मैं कभी भी किसी कि बुराई ना करूँ और ना ही किसी को निचा दिखाओं मैं देख सकूँ के दुसरे व्यक्ति मुझसे खुश क्यों नही हैं। श्री माताजी कृपया मुझे शक्ति दीजिये जिससे मेरी वाणी मधुर हो, मेरी प्रकृति मधुर हो, जिससे दुसरे लोग मुझे पसंद करें और मेरे साथ रह कर आनंद उठायें। आपको ह्रदय से प्रार्थना करनी होगी।



७) श्री माताजी मुझे फूल कि तरह बना दीजिये, कांटे कि तरह नहीं। आपको ह्रदय से प्रार्थना करनी होगी। यह सभी प्रार्थना आपको मदद करेंगी। उसके बाद सबसे महत्वपूर्ण प्रार्थना करनी होगी कि श्री माताजी मुझे अंहकार से दूर कर दीजिये, जो मुझे यह विचार देता है कि मैं दूसरो से बड़ा हूँ, जो मुझसे मेरी विनम्रता चीन लेता है।



८) श्री माताजी कृपया मुझे ऐसी ऐसी नम्रता प्रदान कर दीजिये जिससे मैं दूसरों के ह्रदय को जीत सकूँ। आप सिर्फ़ अपना सिर झुकाइए और सीधा ह्रदय कि ओर जायेंगे। जैसे ही आप अपना सिर झुकायेंगे, वहीं पर ह्रदय है जहाँ आपके आत्मा का वास है। आत्मा के साथ जुड़ जाईये।



९) इस बात को समझने कि कोशिश करिए कि इन बुराइयों का चले जन बहुत जरुरी है। उपरोक्त बातों (बुराइयों) से बचने के लिए हमें प्रार्थना करनी है और सहायता मांगनी है। ह्रदय से प्रार्थना करना बहुत बड़ी बात है।



१०) हे परमात्मा हमें इतनी शक्ति प्रदान कीजिये कि मैं कभी-कभी अपनी माँ (श्री माताजी) को खुश कर सकूँ। मैं अपनी माँ को खुश करना चाहता हूँ। मैं अपनी माँ को खुश देखना चाहता हूँ।



एक ही चीज़ मुझे खुशी दे सकती है और वह है कि जैसा प्यार मैंने आपसे किया है, वही प्यार आप एक दुसरे से करें


- श्री माताजी निर्मला देवी

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