ध्यान कैसे करे?  




मैंने जैसे कहा है पहले अपने को प्रेम से भर लो। आप जानते हैं मैं आप की माँ हूँ । पूर्णतया आप इसे जानें की मैं आपकी माँ हूँ। और माँ होने का मतलब होता है की संपूर्ण Security है, संरक्षण है। कोई भी चीज़ गड़बड़ नही होने वाली। आप मेरी और हाथ करिये। और धीरे-धीरे से आँख बंद करके और अपने विचारों की और देखिये, आप निर्विचार हो जायेंगे। आपको कुछ करने का है ही नही। आप जैसे ही निर्विचार हो जायेंगे, वैसे ही आप अन्दर जाएंगे।

पहले अपने से इतना बता दो कि आज से निश्चय हो कि किसी को कोई सी भी चोट में नही पहुचाऊंगा। और सब को प्रभु तुम क्षमा कर दो, जिन्होंने मुझे चोट पहुचाई हो। और मुझे क्षमा करो क्योंकि मैंने दुनिया में बहुत लोगों पर चोट कि है।

आप जो भी कहेंगे वही परमात्मा आपके साथ करेगा। आप उस से कहोगे के "प्रभु शान्ति दो", तो वोह तुम्हे शान्ति देगा। लेकिन आप मांगते नही है शान्ति। "संतोष दो" तो वोह तुम्हे संतोष देगा, तो वोह आप मांगते नही है। "मेरे अन्दर सुंदर चरित्र दो" वोह चरित्र देगा।

अब प्रार्थना को अर्थ है क्योंकि आपका connection हो गया है परमात्मा से।

.... "मेरे अन्दर प्रेम दो। सरे संसार के लिए प्रेम दी " ... "मुझे माधुर्य दो, मिठास दो।" जो भी उनसे मांगोगे, वोह तुम्हे देगा। और कुछ नही मांगो। अपने लिए ही मांगो। "मुझे अपने चरण में समां लो"..... "मेरी बूँद को अपने सागर में समां लो।"

"जो भी कुछ मेरे अन्दर अशुद्ध है, उसे निकल दो।" परमात्मा से जो कुछ भी प्रार्थना में कहोगे, वही होगा..... "मुझे विशाल करो। मुझे समझदार करो।तुम्हारी समझ मुझे दो। तुम्हारा ज्ञान मुझे बताओ।"

"सरे संसार का कल्याण हो, सरे संसार का हित हो। सरे संसार में प्रेम का राज्य हो। उसके लिए मेरा दीप जलने दो। उसमे यह शरीर मिटने दो। उसमे यह मन लगने दो। उसमे यह ह्रदय खपने दो।"


सुंदर से सुंदर बातें सोच कर के उस परमात्मा से मांगे। जो कुछ भी सुंदर है, वोही मांगो तोह मिलेगा। तुम असुंदर मांगते हो तो भी वोह दे देता है। बेकार मांगते हो तो भी वोह दे ही देता है। लेकिन जो असली है उसे मांगो तोह क्या वोह नही देगा?

यूँ ही उपरी तरह से नही, 'अंदर से', आन्तरिक हो करके मांगो।


- श्री माताजी निर्मला देवी

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