मेरे सपनो का भारत
बस यूँही एक विचार आता है मन में की मेरे सपनो का भारत कैसा हो,
तो आज मैं बताता हूँ तुमको मेरे सपनो का भारत कैसा हो......
नया युग नई भौर हो, चैतन्य चाहू और हो,
कोई विचार न आए जब मन में, बस उत्थान पर ही गौर हो.
कुण्डलिनी का उत्थान हो, हर प्राणी के मन का उत्थान हो,
एक नया दिन निकले जब सबमें देश के लिए सम्मान हो.
न वस्त्रहीन हो जन कोई, न बच्चा जहाँ कोई भुक्खा हो,
न बाढ़ आए किसी नगर में, न प्रदेश कोई सुखा हो.
जहाँ पूजी जाए हर नारी, जहाँ हर बच्चा गणेश हो,
जहाँ पराया न हो कोई, हर धरम का समावेश हो.
हर दिल में हो प्रेम भरा जहाँ, हर आँख में शर्म हो,
न हो कोई हिंदू मुसलमान सिख इसाई, बस सहज एक धर्म हो.
हर बच्चा हो शिक्षित जहाँ, हर नागरिक के पास रोजगार हो,
हो लोग मधुरभाषी जहाँ के, हर व्यवहार में सदाचार हो.
सुख शान्ति निरानंद हो हर जगह, आतंकवाद का अंत हो,
गाँधी शास्त्री श्री पी के साल्वे जी की इस धरती पर हर कोई सहजी और संत हो.
श्री माताजी से नतमस्तक होकर है यह प्रार्थना मेरी के मेरा सपना यह सच हो जाए,
मेरा देश बदल जाए एक सहज परिवार में, इसका नाम सहजिस्तान हो जाए.
September 12, 2008 at 5:08 AM
Amen!
JSMJI!
September 12, 2008 at 6:29 AM
JSM JI
i wish it should be soon