सहजयोग कर्मकांडो के विरुद्ध है  

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जैसे ही आप मन से अहंकार निकालने का प्रयत्न करेंगे, वैसे ही मन बढ़ता जायेगा और अहंकार बढ़ता जाएगा. "अहम् करोति साहंकारः"। हम करेंगे, इसका मतलब ये है कि अगर हम अपने अहंकार को कम करने की कोशिश करें, तो अहंकार बढ़ जाएगा क्योंकि हम अहंकार से ही कोशिश करते हैं। जो लोग यह सोचते हैं कि हम अपने अहंकार को दबा लेंगे, खाना कम खायेंगे, दुनिया भर के उपद्रव एक पैर पर खड़े हैं, तो कोई सर के बल खड़ा है। अपने अहंकार को नस्त करने के लिए हर तरह के लोग प्रयोग करते हैं। लेकिन इससे अहंकार नष्ट नही होता, बढ़ता हैं। उपवास करना, जप-तप करना आदि सब चीजों से अहंकार बढ़ता है। हवं से भी अहंकार बढ़ता है क्योंकि अग्नि जो है वो दाई (Right side) तरफ़ है। जो कुछ भी कर्म-काण्ड हम करते हैं, Rituals करते हैं, उससे अहंकार बढ़ता है, और मनुष्य सोचता है कि हम सब ठीक हैं।


हजारों वर्ष से वही-वही कर्मकांड करते जाते हैं और उल्टा-सीधा सब मामला, जो भी सिखाया गया, वही मनुष्य कर रहा है। इसीलिए सहजयोग कर्मकांड के विरोध में हैं। कोई भी कर्मकांड करने की जरुरत नहीं और अतिशयता पर पहुंचना तो और ग़लत बात है।


- परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी
(गणपति पुले, भारत, २५/१२/१९९७)


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