शरीर परमात्मा का मन्दिर है और आपने अपने स्वास्थ्य की देखभाल करनी हैं
हर देश में कुछ विशेषता है जिसके कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं आती हैं। अतः सहजयोगी होने के नाते व्यक्ति को समझना चाहिए कि स्वास्थ्य अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। यह शरीर परमात्मा का मन्दिर है। अतः आपको अपने स्वास्थ्य कि देखभाल करनी होगी। आप यह भी जानते हैं कि जब कुण्डलिनी उठती है तो पहली घटित होने वाली घटना आपके स्वास्थ्य का ठीक हो जाना हैं। क्योंकि आपका परानुकम्पी (Parasympathetic) तंत्र कार्यान्वित हो जाता हैं। परानुकम्पी, व्यक्ति को ज्योति प्रदान करता है जिसका प्रवाह अनुकम्पी (Sympathetic) तंत्र में होता है तथा व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा हो जाता हैं।
- परम पूज्य श्री माताजी
(कैक्सटन हॉल, लन्दन, १०/१२/१९७९)
- परम पूज्य श्री माताजी
(कैक्सटन हॉल, लन्दन, १०/१२/१९७९)
0 प्रतिक्रिया: to “ शरीर परमात्मा का मन्दिर है और आपने अपने स्वास्थ्य की देखभाल करनी हैं ”
Post a Comment