तनाव क्यूँ आता हैं?
" आधुनिक पूर्व में एक ऐसे चीज़ है जो तनाव कहलाती है| इस से पूर्व कभी इसका अस्तित्त्व न था| लोग कभी तनाव की बात नही कीया करते थे, आज हर आदमी कहता है मैं तनाव मैं हु| आप मुझे तनाव दे रहे है|" तनाव क्या है? ये मेरे अवतरण के कारण है| तालू क्षेत्र मेरे बारे मैं जानना चाहता है| ज्यो - जयो सहजयोग फ़ैल रहा है कुंडलिनी अन्य लोगो मैं उठने का प्रयत्न कर रही है क्यूँकी लोग यंत्र बन गए है| जहा भी आप जाते है चैतन्य -लहरियों का संचार करते है और ये चैतन्य लहरिया कुण्डलिनी को चुनोती देती है या संदेश देती है और कुण्डलिनी बहुत से लोगो में उठती है| पहचान के कमी के कारण हो सकता है के कुण्डलिनी सहस्त्रार तक न उठे या उठकर फीर नीचे आ जाए| तो जीतनी बार वे कुछ करते है कुण्डलिनी ऊपर आती है और उन्हें तनाव देती है क्योंकी उनके सहस्त्रार बंद है, ये एक बंद दरवाजा है| दरवाजा बंद होने के कारण यह उनके सर मैं एक प्रकार का खिचाव देती है जिसकी समझ उन्हें नही है| वे इसे तनाव कहते है| वास्तव में कुण्डलिनी अपने आप को बहार खीचने का प्रत्यन करती है परंतु वेह ऐसा नही कर पाती| जीन लोगो को आत्म-साक्षात्कार मील जाता है और वे अपने सहस्त्रार के खुला (ठीक) नही रखते उन्हें भी इसी प्रकार के तनाव का सामना करना पड़ता है|"
परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी
( सोरंतो, ०६/०५/१९८९)
परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी
( सोरंतो, ०६/०५/१९८९)
November 28, 2008 at 10:18 AM
बढिया जानकारी दी है।आपने लिखा है कि"जीन लोगो को आत्म-साक्षात्कार मील जाता है और वे अपने सहस्त्रार के खुला (ठीक) नही रखते उन्हें भी इसी प्रकार के तनाव का सामना करना पड़ता है|" इस से कैसे बचा जाए कृपया यह भी बताएं।धन्यवाद।
http://paramjitbali-ps2b.blogspot.com/
September 24, 2009 at 5:12 AM
dhyan dwara Nirvicharita ki sthiti prapt karna yahi ek sabse uttam upaay hain tanav na pane ka! :)