जैसे मैंने आपको बताया, एकादश रुद्र भवसागर से निकलते हैं
"जैसा मैंने आपको बताया, ये एकादश रुद्र भव-सागर से निकलते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि इसका विनाशकारी भाग मुख्यतः भव-सागर से आता है। परन्तु ये सारी शक्तियां केवल एक अवतरण, महा-विष्णु को दी गई हैं, जो भगवन 'ईसामसीह' हैं, क्योंकि वे ही पुरे ब्रम्हांड का आधार हैं। वे ही ओंकार कि प्रतिमूर्ति हैं, वे ही चैतन्य लहरियों कि प्रतिमूर्ति हैं. वे जब कुपित होते हैं तो ब्रम्हांड टूटने लगता हैं। वे क्योंकि माँ (आदिशक्ति) कि शक्तियों का मुर्तिरूप हैं, उन शक्तियों का, जो हर अणु में, परमाणु में, मानव में और हर जीवित और निर्जीव चीज़ में प्रवेश कर रही हैं, और एक बार जब वे कुपित होते है तो सभी कुछ संकट में पड़ जाता हैं। अतः ईसामसीह को प्रसन्न रखना अत्यन्त आवश्यक है। ईसामसीह ने कहा था, "आपको छोटे से बच्चे के सामान होना होगा," अर्थात अबोध होना होगा. ह्रदय कि पावनता उनको प्रसन्न करने का सर्वोत्तम मार्ग हैं।"
- परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी
(कोमो, इटली, १६/०९/१९८४)
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