मै जब बोलती हु तो यह मंत्र है,जब मैं नही बोलती तब भी मंत्र प्रवाहित हो रहा है
जब आप मुझसे बात करते है तो एक अन्य तरीका है, जैसे कहना .........'नही श्रीमाताजी।' ये आम बात है, जब मैं कुछ कहती हु तो लोगो के प्रतिक्रया ये हो सकती है, 'नही श्रीमाताजी।' आप समझे की आखिरकार एक पाठ्यक्रम चल रहा है, और जब भी मै बोलती हु तो ये मंत्र है, और जब मै नही बोल रही होती तब मंत्र प्रवाहित हो रहा होता है। अचानक आप कह उठते 'नही श्रीमाताजी' , और इस प्रकार आप पूर्ण प्रणाली मैं पीछे के और ले जाने वाली एक लहर का सृजन कर देते है। उस समय यदी आप मात्र मुझे सुने के मै क्या कर रही हु, तो मेरा कथन कार्य कर देगा, आपको कुछ नही करना पड़ेगा।
- परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी
(विएन्ना, ०४/०९/१९८३)
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