'घृणा' शक्तिहीन होती है - सब के लिए विनाशकारी
मेरी समझ में नही आता किस प्रकार लोग घृणा करना सीख लेते हैं! मेरे पास तो लोगों को प्रेम करने के लिए ही पर्याप्त समय नहीं हैं! चौबीस घंटे भी मुझे बहोत कम समय लगता है। मैं नही जानती कि लोग किस प्रकार बैठकर षड़यंत्र रचते हैं और आँखें बंद कर के घृणा करने के तरीके सोचते हैं। घृणा में कोई शक्ति नहीं है, ये तो आपके लिए तथा अन्य लोगो के लिए भी, विनाशकारी है।
इस अवस्था में मैं आपसे अनुरोध करुँगी कि हर समय प्रेम के विषय में सोचें। आप सभी लोगों को चाहिए कि सबको खुले ह्रदय से स्वीकार करें। मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं चाहती हूँ कि आप लोग खुश रहें। आपकी खुशी के लिए में प्रार्थना करती हूँ। मैं आपके लिए जीवित हूँ। चाहे मैं जागृत अवस्था में हूँ या सुप्त अवस्था में, जब भी आप मुझे पुकारते हैं तो मैं आपके साथ हूँ। हर क्षण आप मेरे विचारों में होते हैं।
-परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी
( स्रोत : "अपने प्रेम से पुरे विश्व को परिवर्तित कर दें" पुस्तिका)
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