ध्यान में गति करना, यही आपका कार्य है, और कुछ भी आपका कार्य नहीं है, बाकी सब हो रहा है। और आपमें से अगर कोई भी जब ये सोचने लगेगा कि मैं ये कार्य करता हूँ और वो कार्य करता हूँ, तब आप जानते हैं कि मैं अपनी माया छोड़ती हूँ और बहुतों ने उस पर काफ़ी चोट खायी हैं। वो मैं करुँगी। पहले ही मैंने आप से बता दिया है, कि कभी भी नहीं सोचना है कि मैं ये काम करता हूँ या वो काम करता हूँ। "हो रहा है।" जैसे "ये जा रहा है और आ रहा है।" अब सब तरह से अकर्म में - जैसे कि सूर्य ये नहीं कहता कि मैं आपको प्रकाश देता हूँ। "वो दे रहा है।" क्योंकि एकतानता में परमात्मा से, इतनी प्रचण्ड शक्ति को अपने अंदर से बहा रहा है। ऐसे ही आपके अंदर से 'अति' सूक्ष्म शक्तियां बह रही हैं क्योंकि आप एक सूक्ष्म मशीन हैं। आप सूर्य जैसी मशीन नहीं हैं, आप एक 'विशेष' मशीन हैं, जो बहुत ही सूक्ष्म है, जिसके अन्दर से बहने वाली ये सुन्दर धाराएं एक अजीब तरह कि अनुभूति देंगी ही, लेकिन दूसरो के भी अन्दर उनके छोटे-छोटे यंत्र है, माशीने हैं, उनको एकदम से प्रेमपूर्वक ठीक कर देंगे।
ये जो शक्ति है, ये प्रेम कि शक्ति है। इस चीज़ का वर्णन कैसे करुँ आप से? मनुष्य की मशीन जो है वो प्रेम से ठीक होती है। उसको बहुत जख्मी पाया है। बहुत जख्म हैं उसके अन्दर में। बहुत दुखीः है मानव। उसके जख्मों को प्रेम की दवा से आपको ठीक करना है। जो आपके अन्दर से बह रहा है, ये वाइब्रेशन सिर्फ़ "प्रेम" है। जिस दिन आपकी प्रेम की धारा टूट जाती है, वाइब्रेशन रुक जाते हैं।
- परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी
(स्रोत : 'चैतन्य लहरी' नवम्बर-दिसम्बर ०८)
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