निर्विचार चेतना  

मानव मस्तिष्क सदैव विचारों का निशाना बना रहता है। ये अहम् की रचना करता है और इसके कारण प्रतिक्रिया करता है। बंधनों में फंसे हुए लोग सदैव भयभीत रहते हैं। ये वीचार या तो भूतकाल से आते हैं या भविष्यकाल से, परन्तु वास्तविकता तो वर्तमानकाल में विद्यमान है, जहाँ हम शान्ति प्राप्त करते हैं।

मस्तिष्क किसी व्यक्ति विशेष या सामूहिकता के लिए समस्या खड़ी करता हैं। उसे चाहिए की मस्तिष्क से ऊपर उठकर निर्विचार चेतना में स्थापित हो जाए जहाँ शान्ति हैं।

शान्ति-वीरों की एक प्रजाति का सृजन किया जा चुका है। में तो केवल इतनी आशा करती हूँ की इस प्रजाति का इस प्रकार विस्तार हो की बहुत से लोग शांत होकर अपने व्यक्तित्व एवं दिव्य कार्यों द्वारा विश्व में शान्ति प्रसारित करें।


- श्री माताजी निर्मला देवी

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श्री माताजी निर्मला देवी